प्रभु शर्मा
गजल,नेपाली शाहीत्य
Wednesday, November 2, 2011
रतिराग
रति राग ले भरि एकी
चन्द्रमा झैँ छरीयकी
मधुर स्वोर संग
आफै लठह परी एकी
चित्र माथि छरी एको
रंग जस्ती रुप उस्को
कमल को फुल संग
दाजी रुप हुन्छे दङ्ग
बैस र जोबन धितो राखी
माया बड्छे खोला सरि
मेटाउन प्यास उस्को
देन्के आगो सरि
No comments:
Post a Comment
http://www.facebook.com/prameshwor.sapkota
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment
http://www.facebook.com/prameshwor.sapkota